हूँ लाल सुर्ख सी चुलबुली नटखट, निर्भय, निर्मोही सी. कभी चमकती, सुनहरी सी! हूँ लाल सुर्ख सी चुलबुली नटखट, निर्भय, निर्मोही सी. कभी चमकती, सुनहरी सी!
मृत्युपाश सदृश लगे कभी, कभी लगता लाल गुलाल। मृत्युपाश सदृश लगे कभी, कभी लगता लाल गुलाल।
इसी कसमकस में बस पिस रहा था, वो लाल सुर्ख गुलाब....! इसी कसमकस में बस पिस रहा था, वो लाल सुर्ख गुलाब....!
नजाकत झलकती है उसके चलने बोलने हर अदा से वो हकीकत थी या किसी शायर का नज्म मिल गया नजाकत झलकती है उसके चलने बोलने हर अदा से वो हकीकत थी या किसी शायर का नज्म मिल...
अचानक सुर्ख गुलाब की चमक दौड़ गयी, उसके एहसास में काफी जोश था सच.. अचानक सुर्ख गुलाब की चमक दौड़ गयी, उसके एहसास में काफी जोश था सच..
फिर क्या सब सुर्ख़ से सफेद हुआ और वो बेचारी बेवा कहलाई थी । फिर क्या सब सुर्ख़ से सफेद हुआ और वो बेचारी बेवा कहलाई थी ।